Wednesday, May 12, 2010

साहित्य समीक्षा: स्पाऊझ

स्पाऊझ: जीवनसाथी का साथ

स्पाऊझ यह मान्यताप्राप्त लेखिका शोभा डे का विवाहसंस्था तथा सह-जीवन इस दिलचस्प विषय में विस्तृत भाष्य है । यह एक विवाह- जीवन की सफलता के बारे में अवगत करनेवाली किताब है । कई मायनों मे यह किताब एक सराहनीय उदाहरण प्रस्तुत करती है ।

मौलिक रूपसे विवाहसंस्था का परिचय, उसमें होनेवाले मानवीय संबंधों की चर्चा एवम् समीक्षा, वर्तमान तथा गतकालीन विवाह परंपरा, बदलते रिवाज, प्रत्यक्ष जीवन के उदाहरण, "ज्ञान की बातें", जेंडर तथा स्त्री- पुरुष असमानता से जुडे मुद्दे, कुटुंबसंस्था, पाल्य- पालक संबंध, जीवनसाथी का जीवन में स्थान आदि सभी संबंधित मुद्दों पर लेखिकाने उपयुक्त भाष्य किया है । कई सारे उदाहरण और उनके साथ सुझाव इनके कारण यह किताब जीवनसाथी को समझने के लिए तथा विवाह पद्धति में प्रवेश करनेवाले लोगों के लिए एक मार्गदर्शक दीपस्तंभ हो सकती है । इसमें केवल संकल्पनात्मक या वैचारिक बातें नही है; अपि तु उनके साथ अत्यंत सराहनीय उदाहरण,  सुझाव एवम् सफल- असफल समझ और सोच दर्शायी गयी है जिससे यह एक पथगामी, एक आनेवाली मुश्किलों को और जटिल परिस्थिती को समझने का साधन बनता है ।

आधुनिक मानवीय संबंध तथा "रिलेशन्स" पर इसमें गहन चर्चा है । परंतु गहन होने पर भी वह सरल रूप से कही गयी है । किस तरह मानवी रिश्ते बनते है, बढते है या बिगडते है, इसकी काफी हद तक संपूर्ण चर्चा की गई है । इस किताब को पढ कर जीवनसाथी अपने आप को और अच्छी तरह से समझ सकते है ।

विषय बहोत बडा तथा वैचारिक- नैतिक होने के पश्चात भी किताब रोचक है । हल्की सी पुनरावृत्ती (Repetition) होने के बाद भी यह वाचनीय एवम्  मनोरंजक है । हालाँकि इसमें विवाह संस्था या जीवनसाथी सें संबंधित नकारात्मक उदाहरणों का थोडा ज्यादा वर्णन है और इसकी पृष्ठभूमी में सिर्फ उच्चभ्रू- अमीर लोगों का ही अंतर्भाव है जिससे यह वर्णन सामान्य जीवन- आम जिंदगी से पराया लगता है ।

पेंग्विन प्रकाशन के इस किताब के मूल्य कें बारे में भी प्रकाशक को धन्यवाद देने चाहिए । यदि इस कम मूल्य के लघु- ग्रंथ का पठन युवाओं द्वारा किया जाता है तो जीवनसाथी से तथा विवाह संस्था से संबंधित कई सारी जटिलताएं और समस्याएं सुलझनें के लिए सहायता मिल सकती है । इस दृष्टि से यह किताब जेंडर तथा विवाह इन मुद्दों पर काम करनेवाले लोगों को कुछ सहायता जरूर प्रदान कर सकती है । 

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